राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव : पहले दिन देश-विदेश से आए आदिवासी कलाकारों ने इस तरह बांधा समां

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क

रायपुर : छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में तीसरा राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में देश के साथ-साथ विदेशों से भी आदिवासी कलाकार शामिल हुए और अपनी संस्कृति और लोक नृत्य की अनुपम झलक पेश की है। छत्तीसगढ़ में गुलाबी ठंड ने दस्तक दे दी है। गुलाबी ठंड के बीच राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में आए लोग देर रात तक जमे रहे हैं। गीत, संगीत और नृत्य ने अतिथियों को कार्यक्रम में डटे रहने के लिए मजबूर किया। आदिवासी कलाकारों ने नृत्य के जरिए पूरे कार्यक्रम में समां बांध दिया। राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कार्यक्रम का लुत्फ उठाया है। इस दौरान देश-विदेश से आए आदिवासी कलाकारों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी है।

इस कार्यक्रम में कलाकार आदिवासी संस्कृति को समेट लाए थे। साथ ही विदेश से आए कलाकारों ने भी शानदार प्रस्तुति की है। न्यूज़ीलैंड के कलाकारों ने छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया बोलकर दर्शकों को भाव विभोर कर दिया। न्यूज़ीलैंड की टीम द्वारा हाका नृत्य प्रस्तुत किया। इन कलाकारों ने छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधि से मैत्री और छत्तीसगढ़ की भूमि वंदना की। वही छत्तीसगढ़ के अप्रवासी असम के कलाकारो द्वारा करमा नृत्य की प्रस्तुति दी। असम के कलाकार इस नृत्य के माध्यम से छत्तीसगढ़ के जुड़ाव को प्रस्तुत किये। इंडोनेशिया के कलाकारों द्वारा शानदार फ्यूज़न डांस की प्रस्तुति देकर नृत्य के विविध रंगों को प्रदर्शित की। टोगो के कलाकारों द्वारा पारंपरिक वाद्य यंत्रों पर उत्साह से भरे नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति ने कार्यक्रम पर मौजूद अतिथियों की नजरें हटने नही दी। वही राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के पहले दिन के अंतिम कार्यक्रम में इजिप्ट के कलाकारों ने अंतिम क्षणों में दर्शकों में नई ऊर्जा का संचार किया और अपनी प्रस्तुति से सबका दिल जीत लिया।

तीन दिवसीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव और राज्योत्सव का हुआ रंगा-रंग आगाज

तीन दिवसीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव और राज्योत्सव का राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में रंगा-रंग आगाज हुआ। एक बार फिर छत्तीसगढ़ की धरती में विदेशों के 100 कलाकारों सहित देश के विभिन्न राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के 1500 जनजातीय कलाकार आदिवासी संस्कृति के इंद्रधनुषी रंग बिखेरने के लिए जुटे। इन कलाकारों ने आदिवासी नृत्य कला, संस्कृति को सहेजने और संवर्धन के लिए छत्तीसगढ़ सरकार का आभार जताया।

देश-विदेश से आए ’रंग बिरंगे पोशाक से सजे नर्तक दलों में जबरदस्त उत्साह दिखाई दिया। इन जनजातीय दलों ने जब अपने नृत्य कला की झलकियों का प्रदर्शन किया, तो मानों एक मंच पर संस्कृतियों का अनूठा संगम जीवंत हो उठा। नृत्य दलों ने सामूहिक कदमताल कर अनेकता में एकता की माला से पिरोई जिसमें पुरातन सभ्यता और संस्कृति के रंग एकसार नजर आए। छत्तीसगढ़िया दर्शकों में भी देशी-विदेशी कलाकारों को देखने का उत्साह दिखाई दिया। उन्होंने तालियों और ‘छत्तीसगढ़िया सब ले बढिया‘ बोलकर लगातार कालाकारों का उत्साहवर्धन किया।

साईंस कॉलेज मैदान में राज्योत्सव के लिए मुख्य मंच, पंडालों और स्टॉलों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है। यहां जनजातियों की समृद्ध संस्कृति, परंपरा और लोककलाओं के साथ छत्तीसगढ़ के पौने चार वर्ष की विकास यात्रा की झलक लोगों को देखने को मिलेगी। टोगो, मोजांबिक, सर्बिया, इंडोनेशिया, मालदीव, मंगोलिया, न्यूजीलैण्ड, रशिया, रवांडा और इजिप्ट सहित भारत के कई राज्य इस महोत्सव में तीन दिनों तक अपनी आदिवासी नृत्य कला की झटा बिखेरेंगे।

राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव देश और दुनिया के आदिवासियों के लिए बना अनूठा सांस्कृतिक मंच

रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में तीसरा राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव शुरू हो गया है। आज शुभारंभ सत्र के पहले दिन है 10 देशों के कलाकारों ने रैंप चलते हुए अपनी कलाओं के जलवे बिखेरे और एक झलक प्रस्तुत किया। इन कलाकारों का पंडाल में बैठे लोगों ने तालियों से स्वागत किया।

लगभग 4 हजार किलोमीटर दूर से पहुंचे सर्बिया देश के कलाकारों ने सुंदर वेशभूषा के साथ अपनी संस्कृति और परंपरागत नृत्य प्रस्तुति दी। इसी तरह रूस मोजांबिक, मंगोलिया, इंडोनेशिया, टोगो सहित 10 देशों के अंतरराष्ट्रीय कलाकारों ने लोगों का मन मोह लिया। पंडाल में बैठे लोग इस अद्भुत नजारे को अपनी स्मृतियों में कैद कर रहे थे। इसी तरह देश के विभिन्न अंचलों से पहुंचे आदिवासी कलाकारों ने अपनी संस्कृति और नृत्य की छाप छोड़ी।

मंच पर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल, विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ,पर्यटन मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू, संस्कृति मंत्री श्री अमरजीत भगत, वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर, आबकारी मंत्री श्री कवासी लखमा सहित मंत्रिमंडल के अन्य सदस्य और मंच पर उपस्थित अतिथियों ने इस पल को और गरिमामयी बना दिया। मंच पर गुजरते हुए नर्तक दलों ने अपने राज्य के संस्कृति को बखूबी प्रस्तुत किया। इस दौरान आज शुभारंभ दिवस के अवसर पर लोगों में गजब का उत्साह देखा गया। कलाकारों में भी उत्साह और उर्जा का अद्भुत संगम देखा गया। कलाकारों ने छत्तीसगढ़ राज्य के मुखिया श्री भूपेश बघेल को धन्यवाद दे रहे थे साथ ही इस भव्य आयोजन के लिए उनकी सराहना कर रहे थे।

राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में कलाकार रेम्प पर अलग-अलग डांस फॉर्म की झलक प्रस्तुत करते हुए

आदिवासी नृत्य महोत्सव – राज्योत्सव में देश-विदेश के 15 सौ कलाकार हो रहे शामिल। तीन दिनों तक होने वाले नृत्य महोत्सव की झलकियां दिखा रहे देश-विदेश से आए नृत्य दल, एक मंच पर दिखा संस्कृतियों का अनूठा संगम। नृत्य दलों ने सामूहिक कदमताल से पिरोई अनेकता में एकता की माला, एकसार हुए पुरातन सभ्यता और संस्कृति के रंग।

त्रिपुरा का नर्तक दल सुन्दर प्रस्तुति देते हुए, अपने सिर पर चिमनी रख कर नृत्य करते हुए

नर्तक दल सुन्दर वेश भूषा पहने अपनी जनजातीय शैली का प्रदर्शन करते हुए

मोजांबिक एवं रसिया के नर्तक दल ने फसल कटाई के दौरान किये जाने वाले डांस परफॉर्मेंस की मनमोहक प्रस्तुति दी। इस दौरान करतब भरे प्रदर्शन ने जनता का मन मोह लिया।

तीन दिनों तक होने वाले नृत्य महोत्सव की झलकियां दिखा रहे देश-विदेश से आए नृत्य दल

स्वागत कार्यक्रम में अंतिम प्रस्तुति मंगोलिया का नर्तक दल फ्युजन डांस फॉर्म प्रस्तुत कर रहा है..

स्वागत कार्यक्रम में अंतिम प्रस्तुति मंगोलिया का नर्तक दल फ्युजन डांस फॉर्म प्रस्तुत कर रहा है, जिसमें वहां की संस्कृति, रीति रिवाज, परंपरा,प्राकृतिक सुंदरता प्रदर्शित होती है।

– अचीवमेंट इन हंटिंग, हाइटाइट स्ट्रेंथ, इंट्यूशंस ऑफ एनिमल्स एंड लाइफस्टाइल। मंगोलिया के नर्तक दल ने इन विषयों पर केंद्रित प्रस्तुतियों से बांधा समा।

– जो प्रस्तुति हो रही है वो, स्पेशल टाइप ऑफ डांस फॉर्म जिसे वेस्टर्न मंगोलिया में किया जाता है, इसमें कुकिंग , हंटिंग को दिखाया जा रहा है।

आदिवासी नृत्य महोत्सव में वास्तविक प्रतियोगिता का हो रहा पहला प्रदर्शन, तमिलनाडु का थोडा नृत्य

– जूरी के सदस्य वेशभूषा, लय ताल से लेकर भाव भंगिमा और पारम्परिक वाद्य यंत्रो के उपयोग तक को परख रहे हैं।

राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में अब असम का विशेष सांस्कृतिक नृत्य दोमती कीकन की प्रस्तुति

असम के युवक और यहां की युवतियाँ बैशाख में यह नृत्य कर अपनी खुशियां व्यक्त करते हैं।

जम्मू-कश्मीर के धमाली नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति

आध्यात्मिक रंग लिए यह नृत्य अद्वैत शिव की आराधना से सम्बंधित है। इस नृत्य के माध्यम से सर्वशक्तिमान ईश्वर के प्रति आस्था प्रकट कर उनकी आराधना की जाती है। हाथ मे आलम धागा बाँध कर नृत्य के मध्यम से ईश्वर से सुखद जीवन कामना की जाती है।

गुजरात के सिद्धिगोमा जनजाति के कलाकारों ने पारंपरिक नृत्य की प्रस्तुति से दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध

– सिद्धिगोमा नृत्य पारंपरिक एवं विवाह अनुष्ठान के अवसर पर किया जाता है।

– इस नृत्य में केवल पुरुष कलाकार ही भाग लेते हैं। मोर पंख और कौड़ियों से सजे धजे वस्त्र पहनकर सिद्धी आदिवासियों की हैरतअंगेज प्रस्तुति बरबस ही लोगों का ध्यान खींच लेती है।

– कहा जाता है कि सिद्धि मूलतः अफ्रीका मूल की जनजातियां है जिन्हें 500 वर्ष पूर्व पुर्तगालियों ने भारत में बसाया था।

– यह जनजाति मुख्यतः कर्नाटक, गोवा और गुजरात में निवास करती है।

केरल राज्य के जनजातीय कलाकार पनिया निरूथम नृत्य लेकर मंच पर आए

– केरल राज्य के जनजातीय कलाकार पनिया निरूथम नृत्य लेकर मंच पर आए।

– यह नृत्य पारंपरिक अनुष्ठानों के पर आधारित है।

– केरल में पनिया का अर्थ है पहला आदिवासी।

केरल राज्य के जनजातीय कलाकार पनिया निरूथम नृत्य करते हुए

विभिन्न राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों एवं विदेशी जनजातीय नृत्यों ने लोगों को किया आकर्षित

तृतीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के पहले दिन राजधानी रायपुर के साइंस कालेज मैदान में जबरदस्त माहौल देखने को मिला. महोत्सव के पहले दिन विभिन्न राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ ही विदेशी कलाकारों ने अपने नृत्य कौशल से सभी को अचंभित किया. महोत्सव के दौरान जनजातीय कलाकारों ने खेती, पर्व, अनुष्ठान एवं विवाह से संबंधित नृत्य कलाओं का प्रदर्शन कर लोगों को अपनी तरफ आकर्षित किया.

केरल राज्य के जनजातीय कलाकार पनिया निरूथम नृत्य लेकर मंच पर उपस्थित हुए थे. यह नृत्य पारंपरिक अनुष्ठानों के उपर आधारित है. केरल में पनिया का अर्थ पहला आदिवासी होता है.

इसके बाद मिजोरम के कलाकार मंच पर अपने नृत्य को लेकर आए. चिराग नृत्य शैली को प्रदर्शित कर मिजोरम के कलाकारों ने समां बांधा. इस नृत्य को बंबू डांस के रूप में भी जाना जाता है. चिराग नृत्य जनजातीय प्राचीन नाट्य शैली है. यह नृत्य मुख्यत: फसल कटाई और वैवाहिक अनुष्ठान पर आयोजित होता है.

लक्षद्वीप के जनजातीय कलाकारों ने भी अपने प्रसिद्ध लावा नृत्य प्रदर्शन कर लोगों का दिल जीता. यह नृत्य धीमी गति से प्रारंभ होकर विलंबित और फिर द्रुत नृत्य में परिवर्तित होता है जिसको देखकर रोमांच उत्पन्न होता है.

कर्नाटक के कलाकारों ने ऊर्जा और उत्साह से भरपूर ढोलू कुनिथा नृत्य का प्रदर्शन किया. यह नृत्य कर्नाटक के चरवाहे पुरूषों के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है. ढोलू कुनीथा शौर्य नृत्य का प्रतीक है जिसमें प्रमुख वाद्ययंत्र के रूप में ढोल का प्रयोग होता है.

गौरतलब है कि राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में भारत के कई राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों समेत दस देशों मोजांबिक, मंगोलिया, टोंगो, रशिया, इंडोनेशिया, मालदीव, सर्बिया, न्यूजीलैंड, इजिप्ट और रवांडा के 1500 जनजातीय कलाकार शामिल हो रहे हैं.

साइंस कॉलेज मैदान पर राज्योत्सव के दौरान विकास प्रदर्शनी में राज्य शासन के 21 विभागों के स्टॉल, शिल्पग्राम में 40 स्टाल, फूड जोन में 24 स्टाल, थीम हैंगर में विभिन्न उद्योगों और सार्वजनिक उपक्रमों के स्टॉल, 40 व्यावसायिक स्टाल बनाए गए हैं।
इस आयोजन में आने वाले दर्शकों के किए अनेक आकर्षण हैं जिसमें छत्तीसगढ़ सहित देश-विदेश की विभिन्न जनजातियों की विविधता पूर्ण संस्कृति, परंपरा और लोककला देखने को मिल रही है. छत्तीसगढ़ सरकार के विभिन्न विभागों की लोककल्याणकारी योजनाओं पर आधारित विकास प्रदर्शनी के माध्यम से पिछले पौने चार वर्षों में छत्तीसगढ़ की विकास गाथा की झांकी देखने को मिल रही है ।

राज्योत्सव में महाराष्ट्र के सोंधी मुखौटा कार्यक्रम लोगों के बीच रुचि और रोचकता का एक विषय बना हुआ है

कार्यक्रम में आने वाले लोगों का इस कार्यक्रम से मनोरंजन भी हो रहा है। सोंधी मुखौटा महाराष्ट्र की लोक परम्परा का एक महत्वपूर्ण अंग है।

India Edge News Desk

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